मंगलवार, 22 मार्च 2016

खोये-से किसी ख़त का लिफाफा हैं बेटियां



 

खुशबू है जिनके दम से, वो फिज़ां है बेटियां
हर घर की बुलंदी का आसमां है बेटियां
उन आंखों में छिपे हैं मोहब्बत के ख़ज़ाने
खोये-से किसी ख़त का लिफाफा हैं बेटियां
जब तक दुआओं में असर है, ज़िंदगी महफूज़
बेटे अगर दवा हैं तो दुआ हैं बेटियां

निखिल आनंद गिरि

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर कुछ कहिए प्लीज़

ये पोस्ट कुछ ख़ास है

नदी तुम धीमे बहते जाना

नदी तुम धीमे बहते जाना  मीत अकेला, बहता जाए देस बड़ा वीराना रे नदी तुम.. बिना बताए, इक दिन उसने बीच भंवर में छोड़ दिया सात जनम सांसों का रिश...

सबसे ज़्यादा पढ़ी गई पोस्ट